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MAKAR SANKRANTI 2024, मकर संक्रांति कब है ,

MAKAR SANKRANTI

MAKAR SANKRANTI 

SANKRANTI

काशी ह‍िंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडेय ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में संक्रांति का अर्थ सूर्य या किसी भी ग्रह का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश या संक्रमण है। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है तो मकर संक्रांति कहलाता है। संक्रांति के समय से 20 घटी (आठ घंटा) पूर्व और 20 घटी (आठ घंटा) पश्चात तक पुण्यकाल होता है।

 इस वर्ष मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। धनु से मकर राशि में प्रवेश करते ही सूर्य उत्तरायण होंगे और इसके साथ ही खरमास समाप्त होगा। अगले दिन यानी 16 जनवरी से विवाहादि शुभ कर्मों के लग्न मुहूर्त आरंभ हो जाएंगे। प्रकाश के उपासक और कृषि सभ्यता पर आधारित भारतीय संस्कृति के लोग इसे उल्लास पर्व के रूप में मनाते हैं।

यह पर्व उत्तर प्रदेश, बिहार आदि राज्यों में खिचड़ी, पंजाब में लोहड़ी, राजस्थान व गुजरात में उत्तरायण, असम में माघ बिहू, उत्तराखंड में घुघली या खिचड़ी संक्रांति तो दक्षिण भारत में पोंगल नाम से मनाया जाता है। काशी ह‍िंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडेय ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में संक्रांति का अर्थ सूर्य या किसी भी ग्रह का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश या संक्रमण है।

सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है तो मकर संक्रांति कहलाता है। संक्रांति के समय से 20 घटी (आठ घंटा) पूर्व और 20 घटी (आठ घंटा) पश्चात तक पुण्यकाल होता है। इस अवधि में तीर्थादि में स्नान-दान का विधान है। इस वर्ष सूर्य 15 जनवरी को सुबह 9:13 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे।

उत्तरायण(MAKAR SANKRANTI) है देवताओं का दिन 

ज्योतिष शास्त्र में उत्तरायण की अवधि देवताओं का दिन और दक्षिणायन देवताओं की रात्रि कहलाती है। इस तरह मकर संक्रांति देवताओं का प्रभातकाल है। इस तिथि विशेष पर स्नान-दान, जप-तप, श्राद्ध-अनुष्ठान आदि का अत्यधिक महत्व है। मकर संक्रांति पर किया गया दान 100 गुना होकर पुण्यदायी होता है। गंगा, प्रयागराज में संगम समेत निकटवर्ती पवित्र नदियों-सरोवरों, कुंडों में स्नान कर अ‌र्घ्य और दान का विशेष महत्व है।

सूर्य सहस्त्रनाम, आदित्य हृदयस्त्रोत का पाठ करें

शास्त्रों के अनुसार इस दिन स्नानोपरांत सूर्य सहस्त्रनाम, आदित्य हृदयस्त्रोत, सूर्य चालीसा, सूर्य मंत्रादि का पाठ कर सूर्य आराधना करनी चाहिए। गुड़-तिल, कंबल, खिचड़ी, चावल आदि पुरोहितों या गरीबों को दान करना चाहिए। वायु पुराण में मकर संक्रांति पर तांबूल दान का विशेष महत्व बताया गया है।

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